बाबरी मस्जिद और भारत का संविधान
आज मुल्क के हर मुसलमान व इंसाफ पसंद हिन्दु के दिलों में बाबरी मस्जिद के गिरने का गम़ है। भारत के इतिहास में 6 दिसंबर 1992 एक ऐसा दिन था जिस दिन भारत के संविधान को चकनाचूर कर दिया गया था। यह वह देश है जिसमें अकबर जैसे महान मुगल शहंशाह जिन्होंने हिंदू धर्म को सम्मान देते हुए मंदिर बनवाए, हिंदू धर्म की पूजा यात्रा की महसूल खत्म की, अनेक ऐसे मुगल सम्राट है जिन्होंने भारत की अखंडता और एकता के लिए अपने प्राणों की कुर्बानी दी है और भारत को गंगा जमुनी तहजीब का मरकज बनाया है। क्या उसी कुर्बानियों का नतीजा शौर्य दिवस है? भारत में ऐसे लोग भी हैं जैसे स्वर्गीय महान सुनील दत्त जिन्होंने 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद शहीद होने पर काला दिवस बताते हुए सांसद सदस्य से इस्तीफा दिया था। जो हुआ सो हुआ अब तो एकता की बात करना चाहिए देश को एक सूत्र में पिरोकर सोने की चिड़िया बनाना चाहिए। इस मामले को भारत की अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए।