मैं कुछ भी कर सकती हूं की सच्ची सफलताएं: वास्तविक जीवन पर रील का प्रभाव
शो के सीज़न थ्री से पहले बदलाव की कहानियां याद कर रहे है शो के निर्माता
मुंबई: लोकप्रिय एडूटैनेमेंट शो मैं कुछ भी कर सकती हूं, अपने तीसरे सीज़न के लिए तैयार है. भारत के अग्रणी एडूटैनमेंट शो में से एक के निर्माताओं का कहना है कि शो की सबसे बड़ी सफलता इसका वो असर रहा है जो वास्तविक जीवन पर पड़ा था.
प्रभाव की ऐसी ही एक कहानी मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर के पुरुषों की है. छतरपुर जिले के निवासियों ने पहले सीज़न से शो का अनुसरण किया है और उनके जीवन पर इसका काफी प्रभाव पडा और इसका दस्तावेजीकरण किया गया है. अतीत में, छतरपुर में महिलाओं की स्थिति खराब थी और प्रचलित सामाजिक मानदंडों ने पत्नी की पिटाई और लिंग भेदभाव को प्रोत्साहित किया. यह शो महिलाओं के सम्मान और उन्हें साझेदार बनने के लिए प्रोत्साहित करने वाले संदेशों के साथ पुरुषों तक पहुंचा. अब इन पुरुषों ने न केवल महिलाओं, लिंग संबंधी मुद्दों और परिवार नियोजन के प्रति अपना व्यवहार बदल दिया है, बल्कि वे राज्य के अन्य हिस्सों में भी पुरुषों को बदलने के मिशन पर हैं. छतरपुर के ये लोग संगीत का उपयोग महिलाओं के सशक्तीकरण और लैंगिक मुद्दों को फैलाने के लिए कर रहे हैं.
एक अन्य प्रेरक कहानी रतलाम के एक छोटे से गांव की एक युवा लड़की मुन्नी कुमारी की है, जिसने शो देखने के बाद अपने जीवन में बदलाव लाया. शादी करने के लिए मुन्नी को अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी और स्कूल छोड़ना पड़ा. लेकिन जब उसने मैं कुछ भी कर सकती हूं देखी, तो उसने अपने माता-पिता को समझाया कि वह उसकी शादी करने के बजाय उसे पढ़ाई करने दें और फिर से अपने स्कूल में दाखिला ले. लेकिन यह बदलाव अभी थमा नहीं है. मुन्नी की बड़ी भाभी कलावती का विवाह उनके परिवार में बहुत कम उम्र में हो गया था. वह अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ चुकी थी. लेकिन जब मुन्नी ने स्कूली शिक्षा शुरू की, तब कलावती ने भी 10 वीं कक्षा में दाखिला लिया.
शो की निर्माता, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा कहती हैं, “कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों और यौन और प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर सामाजिक मानदंडों, दृष्टिकोण और प्रथाओं को संबोधित करना है. मैं रियल लाइफ हीरोज की असली कहानियों को हमारे कार्यक्रम की सफलता का वास्तविक वजह मानती हूं. अब भी हमें सामुदायिक रेडियो स्टेशनों से फीडबैक मिलता है कि वे लोग सीजन 1 और 2 के ऑडियो वर्जन चला रहे है और पूछते है कि वे कब फिर डॉ स्नेहा को सुनेंगे. इस तरह की कई और कहानियां हमारा विश्वास मजबूत करती हैं कि कार्यक्रम उन लोगों के साथ गहरा जुड चुका है, जिन्हें चेंज-एजेंट के रूप में उभरने के लिए शक्तिशाली कहानियों की आवश्यकता है.”।
मैं कुछ भी कर सकती हूं एक युवा डॉक्टर, डॉ. स्नेहा माथुर की प्रेरक यात्रा है, जो मुंबई में अपने आकर्षक कैरियर को छोड़ देती है और अपने गांव में काम करने का फैसला करती है. यह शो सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा की बेहतरीन गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए डॉ. स्नेहा के प्रयास पर केंद्रित है. उनके नेतृत्व में, गाँव की महिलाएँ सामूहिक एक्शन के ज़रिए अपनी आवाज़ उठा रही हैं. दूसरे सीज़न में महिलाओं के साथ युवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया था. नए स्लोगन,मैं देश का चेहरा बदल दूंगी, के साथ, शो की नायक डॉ. स्नेहा माथुर स्वच्छता तक पहुंच सहित नए मुद्दों को सामने लाने की योजना बना रही है. यह शो प्रसिद्ध फिल्म और थिएटर निर्देशक फिरोज अब्बास खान द्वारा बनाया गया है.
इस बार, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थित है. इनके द्वारा ही इस लोकप्रिय एडूट्नमेंट शो के बहुप्रतीक्षित तीसरे सीजन का प्रोड्क्शन किया जा रहा है.