देश के समक्ष गंभीर चिंता का विषय है..
एक भाई ने मुझे “अल्पसंख्यक चिंतक” समझकर पूछा “जगह जगह मुसलमानो पे हमले हो रहे है, हमारे मज़हब में नुक्ताचीनी की जा रही जा रही है, हम इसकी रोकथाम के लिए क्या करे?? मेने उल्टा उसे पूछ लिया- “आपके हिसाब से क्या करना चाहिए”; वो बोला “हमें भी एक संघटन बनाना चाहिए जो माकूल जवाब दे, हमारी एकता का प्रदर्शन हो जिसमें.. “
मेने कहा ” भाई, हम जो भी संघटन बनाएंगे उसे आतंकवादी संघटन घोषित कर दिया जाएगा, फिर उससे जुड़े लोगो को छांट छांट कर आतंकवाद के आरोप में उठाया जाएगा, हमारी गिरफ्तारी से “कांस्टेबल” स्तर के कर्मचारी “अफसर” बन जाएंगे। फिर कोई रिहाई मंच जैसा कुछ बाकि रहा तो 15 -20 साल बाद निर्दोष साबित हो जाओगे। वरना सड़ते रहेंगे अल्लाह की राह में.. आगे बात जारी रखते हुए मेने तर्क और तथ्य सहित अपनी बात पे मुहर लगाते हुए कहा कि ” भारत में स्वर्ण संघटनो द्वारा बनाए गए संघटन के अलावा जो भी सामाजिक संघटन बनता है उसपे “आतंकवादी नक्सली बोड़ो खलिस्तानी उग्रवादी” इत्यादि उपनाम का ठप्पा लगा दिया जाता है, उदाहरण के तौर पे ताजा संघटन “भीम आर्मी” है जिसे आतंकवादी संघटन घोषित करने के लिये पूरा जोर लगाया जा रहा है।
वो गहरी चिंता में डूब गया ” बोला तो हम क्या करे? कहा जाए क्या करे? कोई बड़ा सा विरोध प्रदर्शन करे?
मेने कहा “आप भीड़ इकट्ठी करेंगे? मुंबई की वो भीड़ याद नही आपको जो रज़ा एकेडमी ने आसाम दंगो के विरुद्ध इकट्ठी की थी, भीड़ अनियंत्रित हो गयी और तोड़फोड़ करने लगी….रज़ा अकेडमी को 50 लाख की भरपाई करनी पड़ी, 500 के तकरीबन लड़को को सीसीटीवी की मदद से गिरफ्तार करके राष्ट्रद्रोह जैसी धाराए लगाई गई। आप कोई “जाट गुज्जर पटेल या किसान” नही जो अपने अधिकारों की मांग के लिए 50 हज़ार करोड़ का नुकसान करदे औऱ सरकार हाथ जोड़ती रहे आपके आगे.. आप मुसलमान है, आपके लिये कानून सख्त है। कानून से नही कम से कम “पैलेट गन” से डरो मिंया… पुलिस की मौजूदगी में कत्ल हो रहे है हमारे, कोर्ट को 20 साल बाद पता चलता है कि तुम आतंकी नही हो..मिडीया को भी शर्म नही आती जिसने ट्रायल मचाया, किसके पास जाओगे फरियाद लेकर?
उसे लगा मानो अब भारत में मुसलमानो का कोई ठिकाना ही ना हो,उसको मेरे एक के बाद एक नकारात्मक जवाब सुनकर बहुत निराशा हुई। लोकतंत्र से मैने उसके भरोसे को उठा लिया था। वो बोला फिर तो ऐसे ही मरते रहे, आप सिर्फ अखबार बाज़ी करने के सिवाय कुछ नही कर सकते क्या अब्बास भाई?
मैने तुरन्त “हां” में जवाब दिया.. हम ऐसे ही मरते रहे यही ठीक है हमारे लिए। अभी रफ्तार धीमी है, सिर्फ दो दर्जन लोगो को ही तो धार्मिक चिन्ह देखकर कत्ल किया है.. आप संघटित होंगे तो सामने वाला भी संघटित होकर बड़ी मात्रा में निपटा देगा। और आपने सही कहा ‘मैं लिखने के सिवाय कुछ नही कर सकता” और भी लोग हमारी बाते सुन रहे थे, महफ़िल में ख़ामोशी छाने लगी, नाउम्मीदी पसर गयी।
कुछ ही पल में मेरा दिल पिघल गया उसका चेहरा देखकर। उसके चेहरे पे खौफ था। मेने उसे कहा कि “मायुस ना होइए, हमे सबसे पहले ये समझना होगा की हमारी लड़ाई किससे है?
उसने पूछा “किससे”?
मैने कहा “गोडसे” से ….. वो मर चुका है किंतु लड़ाई उसी से है। हमारी जंग किसी धर्म के मानने वाले से नही, बल्कि धर्म की बंदूक बना देने वालों में से है। गोडसे से लड़ने के लिए हमे अपनी कौम में एक गांधी पैदा करना पड़ेगा, लेकिन हमने अलगाववाद पैदा किया, हमने फिरके पैदा किये। कहने को तो हमने खूब मौलाना और हाफ़िज़ कुरआन पैदा किये, लेकिन हमने सही मायनों में बहुत बड़ी तादाद में आलिमो के रूप में फिरको के सिपाही पैदा किये है।
मेने आगे कहा मेरे पास कुछ उपाय है …
उसने मेरी बात पे सहमत होते हुए उत्सुकता से पूछा क्या उपाय??
मेने कहा ” बाबरी तोड़ी गयी तब पटाखे फूटे थे, राम जब रावण का वध करके लौटे तब आतिशबाजी हुई थी, हज़रत हुसैन का सर नेजै पे रखकर जब कर्बला से शाम तक जुलुस निकाला गया तब उत्सव के रूप में ढोल बजाय गये थे। भारत ने पाक को जंग में जब जब हराया आतिशबाजी हुई, हज़ारो सैनिको की औरते विधवा हुई बच्चे यतीम हुए ये सब तथ्य भूल कर जंग का उत्सव मनाया गया।
अब जब कभी मुसलमान का कत्ल हो आप पटाखे फोड़िये, आतिशबाजी कीजिये, ढोल बजाइये… वर्षो से आपके साथ रह रहा बहुसंख्यक समुदाय और वर्षो से आपके वोट से राज करने वाली सेक्युलर पार्टिया जो आज खामोश है वे आपसे पूछेंगे की “भाईजान पटाखे क्यों फोड़ रहे हो क्या हुआ? तब उनसे आप कहिएगा “हम रामराज्य के आगाज़ पे खुशियां मना रहे है, आपको बहुत मुबारक आपने जो चुना वो वही काम कर रहे है जिसकी उनसे हमे उम्मीद थी, इसलिए हम ढोल बजाकर ख़ुशी जाहिर कर रहे है। हम कामना करते है कि 25 करोड़ मुसलमानो को धीरे धीरे ऐसे हो खत्म किया जाएगा, आप मूक समर्थन करना, हम पटाखे फोड़कर समर्थन करेंगे। आप “कश्मीर सीरिया अफगानिस्तान मुगल लोदी सूरी और गुलाम वंश” सबका बदला हमसे लीजिये, हम हाजिर है।
“मेने आगे कहा – आपकी कोई फरियाद नही सुनी जा रही है, आपकी चीखे नही सुन पा रहा कोई, लेकीन पटाखे जरूर सुनाई देंगे, आपने देखा ही होगा अभी सारे चैनलो को और बड़े बड़े नेताओं को पटाखे सुनाई दिए थे। जब भी कोई बेगुनाह विशेष चिन्ह देखकर मारा जाए आप आतिशबाजी से आसमान में खुशिया बिखेर दीजिये।
भीड़ कत्ल करती रही, लोग देखते रहे, आप ढोल बजाकर जगाने का प्रयास कीजिये अपनी कौम को और आतिशबाजी कीजिये खूब ‘मौतो” पे… शरीयत में ये हराम है लेकिन “संविधान” विरोध के इस तरीके की इजाज़त देता है… बात मानिये आप हराम काम कीजिये। गोडसे अहिँसा से डरता है, हिंसा से नही डरता वो.. अहिंसात्कमक प्रदर्शन कीजिये, बिना भीड़ जुटाए कर सकते है ये हम।
ईद पे नये कपड़े पहनो ना पहनो आप #काली_पट्टी बांधकर जरूर विरोध दर्ज कराइए, उसके बाद भी आपको मज़ा नही आए तो सफेद कफ़न ओढ़कर सड़क पे सो जाइये। खुद को मुर्दा घोषित कर दीजिए.. अपने घर के बाहर लिखवा दीजिये “मैं मुर्दा हूँ, मुझे मत मारो’
Abbas Pathan